ゲーミングPC組もうと思ってるんだが [無断転載禁止]©2ch.net
■ このスレッドは過去ログ倉庫に格納されています
OS=Win8.1
GPU=GTX750ti
CPU=i5 6500
マザボ=H170A PC MATE
HDD=250GB SATA接続(使い回し)
電源=KRPW N600W
ケース=e-machines J4464の(ケース使い回し)
メモリ=CT2K8G4DFS8213(8GB×2)
これでいいのか? ___-----__--__--_-_--_-_--__---_-_--__-_-_-___-_____---__------__-__-____
--_-___--__--_--_---__-____--____-__-___-_--__-__-_-----_-__-_-----___--_
--_-__-__--__--_____---_-___-_----__--_--____----_--_--__-__-__-__---__-_
--__-_--___-__-__-_-____-___----_-_-_---___----___-__----_-_---_--_-__-__
-__--_-_--___---_----_---__-__-_-_----__----_____-________--_-----_____-_
-_-_-_-_-__-_-----_-_-_--____-_-____-_____-_---_-__---_--___---_--___---_
_--_----_----_--_--____-__------___-___---____-_____-__------___-_-__-___
--____---_-__-_-____----_---__-___--__----____--_---__----_______---__-_-
___--_---___---___--_-_-_-_---_-_--____----___------__-__---_--_____-____
__-___-_-___--__---_-__--__---__-__---_--_-_-_-_-__--__-_---____--_----__
__-_-__-______--___----_--___-_-_----__---_-_-_----_----_-__-_____--__--_
______-___-_---____-_-_---_--_---_---____-_--__-____-----_-_-_---__-_-_--
_--_-_---_-_-------__-__-_--_--_--__-_____-_--_-__-__-__-_---__--_-______
-_-_--_-____--__--_-_-___---_-_----___-__-__---__-__--_-----______-_--_-_
_---_---_-__-_--__-___--___---_-__-_--____--_---__----___-----_____--____
___-__---__-__--__-----_____-_--_----_-____---__--_-___-___--__-_-----_-_
----___-__-__--_-_-_--__---____-_--__-_-_--_--_--__----___-__-_--_____--_
--_-_--__-----__-__--_-_-_-__---_-__--_--_----____-_--_-_-__-__--________
__--___-____-_-_-__---___-___----__--___-__----_-_--_-_--___--__--_--_---
_-_____-__-__-__---_-_-_--__-_______--__--_------__-__-__---_-_-__-------
-__-__-___-__-_--__-_--_-_-__--__-_-_-_------__-__--_---_-___--___---__-_
_--__-_--_--__--___--_---__-_--__----__--_-_-_---___----_-_-_____-_____-_
_---_-_-____-_-__---______-__-___-_-___--_----__-_-_----_-_--_--_--__-_--
_-_-__-_---_-__--____----__--___________---_-_-_-_---__-_---_---_-_--_-_-
-__--_-______-___-__---_-____--_--___--_--_-__-_----__-__--__--_-__------
_____-_---_--_----_-_-___-_____--_-----__-__-_-__-_--__-___-_-_-_-----__- _-_-__-__-_____-_-___--_-----_----___-____--__-_--___---_-___---_---__---
-_-------__-___---__-__-_-__-__-_-_-__--_-__-_-_--__--__--_--_---_-______
_--_---___-__-______-__--___-__-_-_---__-_--_--__-_--_-----_-___--_-_-_--
_-----___-___-_--______-___-----_-_--___--____--_---______-_--_--_-_-----
-_______--____-__-______-__--_-_----_-__---__--_---_-__------_--_-_-_---_
--_-----_-__---_-_-__--__-___-___--_-__-_-_-_-_--_--__-___--_--_-__-___-_
_____---__--__-__-__-_--_-__--___-_-__--____-__---__-__-------_-_----_--_
___---_____----____------------_-_-_-___-___-_----__-__-__-_---_--_______
_-___---_--_-__--_--_-__-_-__----_-------__-_------____-_-____-________-_
-_-__--___-_---_-__----_--_-___-_-__---_-_-_-__-_-___-_-----______---_-__
-_-_-__--_-----_--_--_--_____-_-___-__------_____---__-__-_---_--____-___
--_--_------_----_-___-___-_--___-_____--__-____----_-__--___-___-----___
____---___-_-__--_-_____---_-___--__-----_--_-_--__-_-_------__--_____--_
---_---_-__--__-_--__-_--____--__----_--_-_-____-_-_-___------__-___-____
_-__-____---____---_-_-_--___-___-_-_-____-__--__----_____-------_-_-----
___---_--__-_--__-__-_--_--_---_--_-___---_____-__-______--_---_-_-__----
_--_--_--_-_--____-__-___-__-__--_--_--_-___--_-_-__---_-__---_--____-_--
----___--_-_-_------_--____-_--____-_-____-_-__---__-_--_------________-_
---__--_-_-___---____--____--_-_-___-_---_--_-_-_--__-__----__-____--_--_
_-----_--__-_______---___-__-_----_---____-_-_-_---_--_-_--__-__-_--_-___
_-___-__-___-----__-_---_-_-_---_----_-_-_-----_-__--__--____-_-___-_____
--______-__-__-___-_-___--_---__-_-__-__---_-___--_-_-----___--_-_-_-----
_-____-_-__-_-__--_--____--_-____--__-_--_--_-_---_-__---_----_--_-_-_-__
_--_____-_-_-_-___-__----_-_--__-_----_-_---_---__---_-__-_---__-___-____
-_-__---___----_-_--_-_-_-___--_-_----___--_-___---___---___----___-_____
--______--__-_-__-_--_-_---_-_-__---_-__---_-__-_-_-_-_--__----_-__-___-_ -----_-__------______-____-__-_____-__--_-_-------_--_--_--_-___---______
____-_---_--_-_---_-_---_-_--__-___-_---_-_--_-__-_-_-_-__-_--_--______-_
_----_-___-__--______-__-----_----_-__-________--_-----_-___---____---_--
-_-____---___-_-__-_--_-___--_-----__-__-_--__-__---___-__-_-___----_-_--
_--_-_--__-__--_--__--_-_-_-__-_-_---_____--__-___----__-_--_--__-_--__-_
-__-___----__-_---_-__-___-__---__-_---__-__--__--_-__-___----__-_-___---
-_--_--___------__-__--__----_-___--_-__--______-----__-_--__--___--_____
_-_---_____-__--_--_--_-__---_----___--_--_-_-__-_--____-___-____-_-----_
--__-__--___-_-_-_----_---____-_____-_----__-__-_-_-____-_--_--_-_----_-_
_-_----_--__-___-__-_---_---__-_-____--_-__--_---_--___-_-_--____-_--___-
----__-_----__-_--_-___-_-_--___--_--_-_--_-__---____-___--_-_-_-___-_-__
__---___--__-__--_-_-_-----__--____-__-___-____-_-_--__-----_------__-___
--___-_----___-__-__--______--_-_---___----_--__-_-_-_--_---_-_----______
__-_---____-______-_--_-_--__-------___-_-_-----_____-___-___----_-_---_-
_---__--_--___-_---_----_---_--____---_----____--____--_-___--___-_-_____
_--_--_-_--___----___--___-----__-_-_-_---_-__-_-----____-______-_-_--___
-_-___-__----_-_----__-___-_---__-_-_---_--_-_-____---_---_--_-__-_______
-__--___---__-_-_-__--_-----___--___-_____-_-_-__-_-__--_-_-_-__---_---_-
___-__---_---_-_-_____-__--_____-_----__-_--__--_-___--__--_--_-_-_--_---
__-__---_--_------_-_____---_-___-__-_____--__---__-_-__--_-_-_-_-_-_--_-
--_-____--_--_-____-___--___-_-___---____--_--____--_---_____-------_----
--_-_-__---____---_________--_--_--_---_-___--_-____---__----_--__--_-__-
_---_--_---_-_______-____-__-_-__--_-------__---_-_____-___-_--__-_---_--
-----_---_---_-________--_--_---__-__--__-____---_--_----_--____--_______
-_--__--__--_--___-_----_____---_--___---_-__--__--____---__-__-__----___
--_----___-_-_--___--____--_-__-___----__--___-___-____-__-_----_-__----- _-_------__-__----__-__-___-_-----_-_-__---__--_-__-_--_____--____--____-
-_-__----____-_---__-__--__-_--_--__-_-----__--_--__-____-__---_--____-__
--_---_-______-_---__--_-_-__-__-____---_--_-__--_--__-___--_----__-_-__-
--_---__----___--___-____---__-__-__-____-__--_-_-__-----_-__--__-__-_---
-__--___-____-__-__--__-____---_-__-_-----__-___-_----_---_-_---___---_-_
-__----____--__-__-_---_--_-__--_---_----__-________--_---___-----_____-_
__-_--_--_-___--___--_--__-_-_-_---_-__-_---___-_-__-_----_--___-____--_-
__-___-------__-___------_-_--__--____----___----___-_-_-_---________--__
--_-_--_____-_-_--__----_-____--_---_--____---_--_-_--_-___----_____-__-_
_---_-_-_----_-__-_-___-___-_--_______--__--__-_-_-_-_---___-----_----___
___--__----_--____-_----_---_____-_--___---_-___--_-----_-_-____----_____
__--_____-__-_--_-__--_-__--_-_---__-__-___----__--__-____--_---_----_-_-
___-______--__-____--_--_------_-------__--_--_----______-_--___---_-____
__----____--___--_-_--_-__-_-_-----_-_--____---__-___--___-_-_--__-_---__
______-__-___----_---_-_-___--__---__--_--_-_-__--_-_-_-___----___---_-_-
__---_-___-___-_--_____---____--_---__--_-____-_------___------_-_-_-___-
-----_----_-_____-___---__----_--_--____-___-____-__-___-____--_--_--_---
-_-_--__-_--_----______----__--_-__-_-_-________----_----_--_-___----____
-_-___-___---_-___-_-----_---_-_--__-__-__-_-_---___-_-_-_---_-____--_-__
--__-_---___-_-_-__-_-___-_-_-_-----_-___-_------_-__-----___-_-___-_____
-______-_---___--____-----_---_--_----_---_--_______-____----__-_--____--
___--__-___--__--__-_---_--_____--_--_-_-_---______---__---_--___-_-_----
___-_-_______---_-____----_-__---_--____-_-___--__---__----_-_--__----_--
_--___-_________-_---__-_-__---_-------_-__-____--__----__-_--_-____-----
--__-____---_-_--__---_-_--__---_________-----____-_----_-__--___-__---_-
---_----_-_____-_-_--_-__--___-_-__-_-_-_-__--___--_-_-----_-___---_____- --______-_-_-___-_-________--_------____---_--__-__--_--__---__-------__-
___-___-_______--__---_-_--_-__-___-_---__-__-_-__-__--_--__-----_-------
-__-__--_----_---___---__-_--__--_____----_-_-_-___-_--__--_-____--__--__
--_-__--___--__-_-_--______-_-_-__----__--_-___-__---____---_--_---_--__-
_____-______-_---_--_--_---_-_-___-_--__---_--__-____--___-_--__------_--
---__-__-_--_--_--_-___-_---__---_-_-____-_--__--_----____---__--_____-__
__---_-_--_---__-___-_----_----__-_-_----____-_-_---___-__--____-___--___
__-_--__--_-_-___-_-_____-__-____---__---_-_--_--_--_-_--_-__-___--_-----
---___-_--_-____--___-_-_---_---_--__-_--_---__-__-_--_--_-_-_____-___--_
___---_-_--____-__-_-_--__--__-__-_-_-_-_--__-_---_------_-__-_-_-__--___
__-__-__-_-_--___-__-___--__--____-----_-_---___-_-____---_-------_--_-__
--_-_--_--_____-_--_-__-_-_--_---_-_--_-__-_-_-_-__-___-__---____--__--_-
-__-____---_--____-_--_----_--------________-______-__------___-_-_-__---
----__--____--__--_-_-__--_--_--_-__---_-__--___-_-____--_--___--__--__-_
_---_---___----_-___---___-___---_-_-_-_-__-__-_--______--_-----_-_--____
_-_-_-___------_---_---_--___-_-__--__--_-_--_-____--_-__-____--__-___--_
----______--_-__-__-_--_----_--_-___-__-_-_-__-_---______-___--__----_---
__-_-___---__-_--_-___----__-----__------____--_-_-_-_-_-_-_____-___-_--_
--___-_-_--__----_-_---__-_-_-_---__-_--_-__-__--_---_-_______-_-___---__
___---_--_-__-__-_-____-_-_____-__---_-_-_--___----____--__-__-_---------
_-__-----_-__-__------_--_-__--___-__--__-_-__-__-_--_-_____-----_-___-__
------_-_---__--_--_-__---___---_--_---_--_-_-______-_____-__-__-___--___
-__-_--____---__--_-__---_-__-_-_---_-___----_-_-___--___---__-_---___-__
-_-_______-_-_--_--__----___-------_--_-----__-___-__-___--___-__-__---__
-_----___---__----___---_-___-____--___-_-_--_______-_--_-_-__--_-_---_--
-_----____--__-___------_--_----_-_-_--____-__-______-_-_-_--__-_----____ _---__-_--_-_-_---__--_--__--_--_-_____-_-_-__---_-_---__--___--__-__-___
-__-___--_-__--__---_-_-_-_--___-__-----_-_-___-___-_-__-------_-_--_____
__-___-_-_--_-____--_-_-_______-__-_--__---_---_-------_-_--__-_-___-_---
__-__-_--__--_----_-----__-__-_-_-_--_--___-_---_---__-__-_-__-___-_-____
---_-___-_--_----_-__---_-__-_--__--_-____--____-_---_-_-_-___----____-__
-__--_---_--__--_-_-_-_--_---__--_--_--_--_____-__-_---__-____-__-_-_-___
_---_----__-__---____-_-___-___---_--_-_--_-_-____-__-_____----_-_-_-_---
_____--__--__---_--___--_-_-__-____-___----_----__-_-____----_-__----__--
_----_------__---__----___-__-__---_____--__-_-_-___-_-_-_-__--_-_____--_
_----_---_-__--___-____----_-__-____-_-----_______--___-_-__--_-_-_--_---
-_-______-_-_-_-____---_-_--_-_--_--_____--____--___---_--_---__------__-
--_-_-_-____-_______-___--_----_---_--_---__---__-___-__-----__---____-_-
_-___---___--__-_-----_-__---__--_---_-__-__--__---____-_--____--___--_-_
-_____-__--_--_----_____-___-_____--__---_--_--___-_-__-------__--__--_--
__-__---___-___-__-__-____--_------__--___-___---_-_-_-__-----_-_----_-__
-____-___--__----__-_-__-----__-_---__-__--__-__-_-__-___-____--_-_------
___---___--_-_----__-_-_-_-__-_--___----_--____-___---__-_---___-____----
-_-__-__-___----_------_-_-_-_-_-_-_____--___--___-___--____-_-_---__----
-___--_--__--_-__---_-_--------_-_--_--___-_--___-____-_-__-__----_______
-__------_____--_----_--___----__-----_-__-_-___--_-___________-__-----__
___---_-___--_-____-_--__-------__--__-_-_--___---_-_--------___-________
--__-----_______--__-___--____-__-_-----_-_-_-__--_-_-_--_-___---___---_-
___--__--__-__-_____--__--__-_--_-_---_-__-__-----_-___-__----__-_-__----
_---______-_-_---_--_-_-_--___---_-_--__---_--____-_-__--_-_-_-__----____
_---__-____-___--__-____--__---__-__-____-__-__--_--_------__--_-----_-_-
___----_--__--__-_--___-___-___--___-_--__-___-_-----_----____-_---_-_-_- -_-_-----___--_______-_----_--_-___-__-_--_-___--_-_-_-----_____-__-__---
_-__-____---_-__-__-___----_-----_--_-_-__--__--_-___---_-_----___-_-____
-___-_-____--_____--___-_---_--__-_---------_-__-_-__-_-____--___--_-_---
__--____-----__-----____-_-_-__--___-__-_--__-__-_-_----_-___---_-__--_-_
-___--_-_-_-___-_____-_____-_--__-----__-----__-_--_-_----_----_-_-_-____
__-_--___---__-__-__-_-_-___-_-__-_------_--_-___---_-_____-_-__-_---_---
__-_-__-_-__--_------__---__-____--____--__--_--____----_____--_-_----_-_
--_--_---__-_-_-_-__-__-__---___-_--______-__-_--_______------_-__--_----
-___--_-_-____-----__-_---___---____-_----_-_____------__-_-__----____-__
_--_--_-_---____----_------_--_---_-__-_______--_--____-__-_-____--__-_-_
---_---__---__--____-_-__---__-_--_--_-_-_-----_-__-_--_-___--_-_________
--_________-_______-_--__--___-_-_-__---_-_----------_-__-__-___------_--
-__-_-__--_--__-_-_____---____----__----_--_----_-_-__-_--____-__---_-___
__-____-__--_____-_-____-____-----___---_---_------_--_-_---__--____----_
-_-_-__---________--_-_-__--___-__---____--__--__--__--__-----_---__--_--
_-_-___-_____-_-__--__-_----_---__--_--_---_----_--___-__-__---__--___-__
-_---___-____--_--_---__-----_-__-___--_-_-__--_-_-___-_-___-_--_-____---
__--____--_---__-__-_----_-_--__-__--__-__-____-_---_-_-_--__---_-__--_-_
--________-_-_-__--___----_---__-_---______-_-___----___--__--_------_-_-
-_--_----------__--_-___--______--_---_-____-__--_---__-___-__--__-_-____
___-__-_-_--_-_-_-_---___-___-____-------____-_-_--__--_-_-_--_--_-___---
--_______-____--___--__--___--_---_-__--_-_----__--_-_-__---------__-____
__-__---_-_--__---_--__-_----_-______---___----_-_--___-___-_-____--_-_--
-_-___--_-_-_-_---__-___-_-_---__-__-------_-__---_-_-____--__--____--___
_-_____--_---__-___-_-_-__-_-_---______---_-___-_--_-_---_-___-_-_-------
__-__----_--_____-__--_-----_-_--__-_-__-_-_--__-_--_-_-__-_-_--_-___--__ ----_-_--_--__-_--__-_-_-_--_-_-_-_--_-_-__--__-__-____-_-_-__-_-_-_-__-_
_----_-_-___-_-_____----_---______---_--__--___---__-__----_-____-_---__-
_-___--_-_-_-______--_-_-_--__-_--_-___-_-_----___--__-_-__--_--_------__
-_-_-_--_-__----_____--_--__--_--_-___-_-----____-----__-_---_____-__-___
----__-_-----_____--__--__---_--_-___--_-_---__-__--__-__-___-____----___
_-----_--_-___--_--__-___-_-__----____------_-__---______-_--_____--_-_-_
-_____--_--___-_--_-_---____--_-__-__--____---__---___-_____--__---------
_--____--__---___-_-_-_-___-__----_-_----__----_-__-_--__-----_____--____
__---__----_-_____-_-_____-___--__--___-_-__-___----__-_---__--_-----_---
--___-_____-_-_-_-__--_--__-_____-__--_--_--_----_----______----_--___---
-_---__--__-_-_----____-----_---__-____-_-____----_---____-__---_-____-__
-___-_______--__---_-____-----_-___--__----__-__-_--_-_--_-_-___---_-_---
__-___-__--_-_---_-____--__--__-_--__---___--___-_--_-_------___-___--_--
---____----_--___-__--_-__--__---____--__---___----_____-__-__--_---_-_-_
-__-__-_-_---__--_--___--__--_____--_---_--__--_--_____--_--__--____-_---
-___-___-_____-_-_--_----_--_-__--__-------____-_--_--_-__-_-__---__-___-
--__-_--_-__--_--_--__-_----_----_-_-__________-_-__----__-__-______-----
-_-_-_---____-__-_--_-___----__-_-_______--___------_-___--_-_--__-_--_--
___--_------_-___---_----____-___-_-_--__---_----____-_-__-_-_-__--____-_
______--_--_____-__--__---__-_-____---_-_-_-_-_-_---__----_-__---_--_---_
-__---_---_-___-_--___-__--_--_-_--__-_-_-___--_-__-------_____--___--___
---____-----_----__----__-__-_-___-_-_-----_-_-__-___--__--_-__-____-____
_-_----__--__-_-___--_____-__-__-_-_-_----_-----____--__-_--___--_--_--__
___----___-_-__-______---___-_-___-_-_-_-_----___------_---_____----_---_
____---_----__-__-__---_____--_-___--____-----__--__-__--__-___---_-_----
__---_-_-_--_-_-___-__-_--_---_-___----__----_-_-______-__---_-_-_---____ _--___-___-__-_-_--_-___-___--_--__-_--_--__--_-_-_-__-_--_-___--_---_---
-_-___-_--___-_--__--_-_---_----_--_-____-_--_-___--____--___-__---_---__
-____-___-___---_--_-__-_-__-_-_--_----_--_-___--__--_-_-___-_____-------
-_--__-________-___--____-__-_-_----_----____-_-__-__-----__------_-_--_-
-_------_-__--__--_--__---__---__-__----___--_____-___-_-_---____-_--____
--_--__-___------____-__--_-_____-__---_---_-____--____--_--__--_-_--_-_-
--_____-_____-___--_-_____----___-----___---_-_---____-_------__-_-__----
____--________---__---_--___----__-_-__-_-_-_-___-_-__--_-_----_-__------
----_--______---_-_-_____-_--__-_-_----____--_--_-__--__-_-__--_-__---_-_
_-____-_--_-_-----_-_-___-________-_---_------___---__----__---__-_-__-__
--_---_--____-__-_-_-_-___---__----_----_-__-_____-----_____-___-__--_-_-
__-_--_-----_--__-_____--_-_-__-____--__--__---_----_--_________--_----_-
------__-_-____--____-__----_----_-__-__---_--_-_--____-__-___--__---____
_-----_-_--___-_-__-_-_---___--_-_--_-_-____--___--___---___--_-_--__--__
___--_----_-_-__--_----_-_-__-_--_---___-_-_-____-_______-----_----_-____
-_-_-----_-_-_-__-____----_---____________-___--__--_----_--_--_-_-_-_--_
-__---__--------______--_--_____-_-_-___--__--___-_-_-_-_--__-___----_-_-
_-_-___---_-_-_--__-___--__--_-_____-___--___--__--__-___--_----__-------
_-___----_____-_-__---_-_-_------____---_-___----_-__-----_-_-_-____-____
_--__--_-_-__-____-_--_---_-_---_____---_-_--_-__-__-__-__-__---__-__----
_---_-_--___-__-_---__-____------_-------_--_-_______-__---__-_--_____-__
--_--__-----____----_-__-_-_---_-_-_-____--__-___---_--_-___-____-_-__--_
______-____--_----__-------____--___-___-_--__----_-_-__-___--_--_-_--_--
-----_-_--_____-___-_-__----_-__-__-----_---__-___-_____-_--_-__--_-__-_-
---__-_----____-_----_---___--_--_-__---_____-_-___-_--__-_-_----____-___
--_--_--_--_____--__--_____----____---_--_-_-------___--___--__-_____--__ -___-_---_---__---_-_--_-_-__-_-__--______--_-__--______-__---__--_---_--
_--_--__-____---_----____-----_-____-__----____-_---__----_--____---_____
_-___-___-__---_-__---___----___-_---_-__-___---____---_--_------__-___-_
_-_-_---___-_-__--_---___-_-_-___-_--__--_--_____-_-__-_____----_-_------
___---_--_---__--_-____--__-_--__-_-__-__-----___--__-_--_--_----_-______
__-_---__--____-_--_-_--_____-_-_--___-----_-__-__-___---__-----_-_--__-_
___-_-_____-___--__---__-__---__-_--_-__-_-_-_----_----__--_--_-__-__-_--
_-_-_-___----_-____---_--___--______--_--__--_-__---_-____---_----__-_-_-
-_--____-----_-_____-_-__-_-___--_-----___-__-_----_----_____-_-__--_-__-
-__--_-_--_-_-_____-__--__-_------_-____---------_--____-____-_-__---____
--____--__--_---____-___-__-____--__----_-_-_____-_--_-_---___-----_---_-
_____-_--__----__-----_-__-__---_-___-___------__-___-_-_-___-_-__---__--
-_--_---___---______--_-_______-------___-_--_--__-___-__----___----__--_
__-_-----__------___---__--_--_----__-_-__--____-___-_-__-_-_-_--______-_
--_-_-____-_-_-----__---_-__----_---_-_--___-----_____-___-____---___-___
-_--_-__----____--_---_--__-___--_-__--___-_-___-__--_______-----_-_---_-
_---_-__--_____--_---_-___---__-_-____---__----__-___-_-__--_-_-_-_-__---
_--______--__--__---_--___--______-_-____--__--___-__---_---_---_-_------
---_--_-_-_----______-____---_-_-__-_--_-__-__--__-__--_-__---___--_---__
-__--_--___--_-_-_-____--____---_-_---_-_-_-____--___----_--____--__-_---
--___--_-_-__-__-_---_-_---__-___-_----___--__-_--___-_--____-------_____
-_-_-------______-__--______-_---_-__-__-_-_-____----__-_-_--_--_---_-__-
___-______-_--__--__-__-_--_-_--__--__-__-_-_--_-_--------___--_--_-_--__
____-_--_-___-___-_--__----_-___-_-_-----__--___---_-__-___--_---_-_--__-
_-_--_-_---_____-__-_-__-_--_-_-_-__--___-_--_--_---_--_-______----_---__
_-_--_--------__-_____-_--_-_--_---_____-__-_-___--______--__----___--_-- ☆☆☆
☆ 日本人の婚姻数と出生数を増やしましょう。そのためには、年金制度と生活保護を
段階的に廃止して、満18歳以上の日本人に、ベーシックインカム(BI)の導入は必須です。
月額約60000円位ならば、廃止すれば財源的には可能です。お願い致します。☆ >>1
m4a1iaia@gmail.com
>>95
m4a1iaia@gmail.com
>>810
m4a1iaia@gmail.com >>5
m4a1iaia@gmail.com
>>82
m4a1iaia@gmail.com
>>108
m4a1iaia@gmail.com >>3
m4a1iaia@gmail.com
>>46
m4a1iaia@gmail.com
>>368
m4a1iaia@gmail.com >>7
m4a1iaia@gmail.com
>>96
m4a1iaia@gmail.com
>>968
m4a1iaia@gmail.com >>3
m4a1iaia@gmail.com
>>56
m4a1iaia@gmail.com
>>728
m4a1iaia@gmail.com >>3
m4a1iaia@gmail.com
>>36
m4a1iaia@gmail.com
>>882
m4a1iaia@gmail.com >>5
m4a1iaia@gmail.com
>>51
m4a1iaia@gmail.com
>>887
m4a1iaia@gmail.com >>6
m4a1iaia@gmail.com
>>71
m4a1iaia@gmail.com
>>547
m4a1iaia@gmail.com >>9
m4a1iaia@gmail.com
>>24
m4a1iaia@gmail.com
>>134
m4a1iaia@gmail.com >>2
m4a1iaia@gmail.com
>>69
m4a1iaia@gmail.com
>>172
m4a1iaia@gmail.com >>9
m4a1iaia@gmail.com
>>37
m4a1iaia@gmail.com
>>775
m4a1iaia@gmail.com >>7
m4a1iaia@gmail.com
>>58
m4a1iaia@gmail.com
>>118
m4a1iaia@gmail.com >>9
m4a1iaia@gmail.com
>>47
m4a1iaia@gmail.com
>>123
m4a1iaia@gmail.com >>3
m4a1iaia@gmail.com
>>12
m4a1iaia@gmail.com
>>217
m4a1iaia@gmail.com >>4
m4a1iaia@gmail.com
>>70
m4a1iaia@gmail.com
>>664
m4a1iaia@gmail.com >>1
m4a1iaia@gmail.com
>>20
m4a1iaia@gmail.com
>>420
m4a1iaia@gmail.com >>3
m4a1iaia@gmail.com
>>24
m4a1iaia@gmail.com
>>834
m4a1iaia@gmail.com >>9
m4a1iaia@gmail.com
>>93
m4a1iaia@gmail.com
>>316
m4a1iaia@gmail.com >>3
m4a1iaia@gmail.com
>>34
m4a1iaia@gmail.com
>>565
m4a1iaia@gmail.com >>8
m4a1iaia@gmail.com
>>92
m4a1iaia@gmail.com
>>984
m4a1iaia@gmail.com >>2
m4a1iaia@gmail.com
>>74
m4a1iaia@gmail.com
>>244
m4a1iaia@gmail.com >>2
m4a1iaia@gmail.com
>>61
m4a1iaia@gmail.com
>>987
m4a1iaia@gmail.com >>4
m4a1iaia@gmail.com
>>84
m4a1iaia@gmail.com
>>198
m4a1iaia@gmail.com >>6
m4a1iaia@gmail.com
>>15
m4a1iaia@gmail.com
>>804
m4a1iaia@gmail.com >>6
m4a1iaia@gmail.com
>>30
m4a1iaia@gmail.com
>>918
m4a1iaia@gmail.com >>9
m4a1iaia@gmail.com
>>19
m4a1iaia@gmail.com
>>980
m4a1iaia@gmail.com >>8
m4a1iaia@gmail.com
>>15
m4a1iaia@gmail.com
>>512
m4a1iaia@gmail.com >>5
m4a1iaia@gmail.com
>>56
m4a1iaia@gmail.com
>>310
m4a1iaia@gmail.com >>1
m4a1iaia@gmail.com
>>85
m4a1iaia@gmail.com
>>217
m4a1iaia@gmail.com >>9
m4a1iaia@gmail.com
>>65
m4a1iaia@gmail.com
>>403
m4a1iaia@gmail.com >>2
m4a1iaia@gmail.com
>>30
m4a1iaia@gmail.com
>>400
m4a1iaia@gmail.com >>5
m4a1iaia@gmail.com
>>87
m4a1iaia@gmail.com
>>246
m4a1iaia@gmail.com >>4
m4a1iaia@gmail.com
>>67
m4a1iaia@gmail.com
>>595
m4a1iaia@gmail.com >>3
m4a1iaia@gmail.com
>>49
m4a1iaia@gmail.com
>>424
m4a1iaia@gmail.com >>6
m4a1iaia@gmail.com
>>45
m4a1iaia@gmail.com
>>219
m4a1iaia@gmail.com >>2
m4a1iaia@gmail.com
>>69
m4a1iaia@gmail.com
>>107
m4a1iaia@gmail.com >>1
m4a1iaia@gmail.com
>>67
m4a1iaia@gmail.com
>>222
m4a1iaia@gmail.com >>3
m4a1iaia@gmail.com
>>93
m4a1iaia@gmail.com
>>682
m4a1iaia@gmail.com >>6
m4a1iaia@gmail.com
>>72
m4a1iaia@gmail.com
>>749
m4a1iaia@gmail.com >>8
m4a1iaia@gmail.com
>>15
m4a1iaia@gmail.com
>>463
m4a1iaia@gmail.com >>8
m4a1iaia@gmail.com
>>50
m4a1iaia@gmail.com
>>175
m4a1iaia@gmail.com >>1
m4a1iaia@gmail.com
>>66
m4a1iaia@gmail.com
>>837
m4a1iaia@gmail.com >>3
m4a1iaia@gmail.com
>>25
m4a1iaia@gmail.com
>>233
m4a1iaia@gmail.com >>8
m4a1iaia@gmail.com
>>76
m4a1iaia@gmail.com
>>578
m4a1iaia@gmail.com >>3
m4a1iaia@gmail.com
>>43
m4a1iaia@gmail.com
>>650
m4a1iaia@gmail.com >>3
m4a1iaia@gmail.com
>>21
m4a1iaia@gmail.com
>>334
m4a1iaia@gmail.com >>4
m4a1iaia@gmail.com
>>14
m4a1iaia@gmail.com
>>678
m4a1iaia@gmail.com >>8
m4a1iaia@gmail.com
>>33
m4a1iaia@gmail.com
>>641
m4a1iaia@gmail.com >>6
m4a1iaia@gmail.com
>>57
m4a1iaia@gmail.com
>>345
m4a1iaia@gmail.com >>9
m4a1iaia@gmail.com
>>26
m4a1iaia@gmail.com
>>390
m4a1iaia@gmail.com >>9
m4a1iaia@gmail.com
>>66
m4a1iaia@gmail.com
>>933
m4a1iaia@gmail.com >>9
m4a1iaia@gmail.com
>>39
m4a1iaia@gmail.com
>>112
m4a1iaia@gmail.com >>3
m4a1iaia@gmail.com
>>99
m4a1iaia@gmail.com
>>433
m4a1iaia@gmail.com >>8
m4a1iaia@gmail.com
>>14
m4a1iaia@gmail.com
>>195
m4a1iaia@gmail.com >>4
m4a1iaia@gmail.com
>>35
m4a1iaia@gmail.com
>>200
m4a1iaia@gmail.com >>5
m4a1iaia@gmail.com
>>16
m4a1iaia@gmail.com
>>810
m4a1iaia@gmail.com >>4
m4a1iaia@gmail.com
>>22
m4a1iaia@gmail.com
>>154
m4a1iaia@gmail.com >>7
m4a1iaia@gmail.com
>>66
m4a1iaia@gmail.com
>>657
m4a1iaia@gmail.com >>4
m4a1iaia@gmail.com
>>78
m4a1iaia@gmail.com
>>587
m4a1iaia@gmail.com >>3
m4a1iaia@gmail.com
>>10
m4a1iaia@gmail.com
>>119
m4a1iaia@gmail.com >>1
m4a1iaia@gmail.com
>>82
m4a1iaia@gmail.com
>>434
m4a1iaia@gmail.com >>3
m4a1iaia@gmail.com
>>64
m4a1iaia@gmail.com
>>195
m4a1iaia@gmail.com >>5
m4a1iaia@gmail.com
>>36
m4a1iaia@gmail.com
>>118
m4a1iaia@gmail.com >>5
m4a1iaia@gmail.com
>>99
m4a1iaia@gmail.com
>>320
m4a1iaia@gmail.com >>6
m4a1iaia@gmail.com
>>19
m4a1iaia@gmail.com
>>124
m4a1iaia@gmail.com >>5
m4a1iaia@gmail.com
>>75
m4a1iaia@gmail.com
>>660
m4a1iaia@gmail.com >>7
m4a1iaia@gmail.com
>>38
m4a1iaia@gmail.com
>>385
m4a1iaia@gmail.com >>6
m4a1iaia@gmail.com
>>78
m4a1iaia@gmail.com
>>572
m4a1iaia@gmail.com >>7
m4a1iaia@gmail.com
>>77
m4a1iaia@gmail.com
>>810
m4a1iaia@gmail.com >>4
m4a1iaia@gmail.com
>>22
m4a1iaia@gmail.com
>>660
m4a1iaia@gmail.com >>4
m4a1iaia@gmail.com
>>20
m4a1iaia@gmail.com
>>680
m4a1iaia@gmail.com >>7
m4a1iaia@gmail.com
>>60
m4a1iaia@gmail.com
>>799
m4a1iaia@gmail.com >>2
m4a1iaia@gmail.com
>>63
m4a1iaia@gmail.com
>>995
m4a1iaia@gmail.com >>5
m4a1iaia@gmail.com
>>53
m4a1iaia@gmail.com
>>249
m4a1iaia@gmail.com >>9
m4a1iaia@gmail.com
>>30
m4a1iaia@gmail.com
>>922
m4a1iaia@gmail.com >>8
m4a1iaia@gmail.com
>>40
m4a1iaia@gmail.com
>>944
m4a1iaia@gmail.com >>5
m4a1iaia@gmail.com
>>35
m4a1iaia@gmail.com
>>321
m4a1iaia@gmail.com >>8
m4a1iaia@gmail.com
>>64
m4a1iaia@gmail.com
>>732
m4a1iaia@gmail.com >>1
m4a1iaia@gmail.com
>>37
m4a1iaia@gmail.com
>>127
m4a1iaia@gmail.com >>9
m4a1iaia@gmail.com
>>35
m4a1iaia@gmail.com
>>239
m4a1iaia@gmail.com >>1
m4a1iaia@gmail.com
>>16
m4a1iaia@gmail.com
>>701
m4a1iaia@gmail.com >>4
m4a1iaia@gmail.com
>>64
m4a1iaia@gmail.com
>>654
m4a1iaia@gmail.com >>2
m4a1iaia@gmail.com
>>89
m4a1iaia@gmail.com
>>601
m4a1iaia@gmail.com >>4
m4a1iaia@gmail.com
>>34
m4a1iaia@gmail.com
>>994
m4a1iaia@gmail.com >>7
m4a1iaia@gmail.com
>>98
m4a1iaia@gmail.com
>>400
m4a1iaia@gmail.com >>4
m4a1iaia@gmail.com
>>86
m4a1iaia@gmail.com
>>574
m4a1iaia@gmail.com >>4
m4a1iaia@gmail.com
>>78
m4a1iaia@gmail.com
>>221
m4a1iaia@gmail.com >>1
m4a1iaia@gmail.com
>>46
m4a1iaia@gmail.com
>>118
m4a1iaia@gmail.com ■ このスレッドは過去ログ倉庫に格納されています