ル・クレジオとクッツェー、どっちが天才?
■ このスレッドは過去ログ倉庫に格納されています
かたやフランス戦後世代最高の作家・・・・
かたや英語圏最高の作家・・・・
この二人ではどうかな? --_-____--_-_-_-_------__-__--______-_---_--_____---_--___-____-------___
_--__-_---_-_-_----_-___-_-_---_--_-_--_--__--_-____-__--_--___-____--___
_____---_-__--___--_-___---_-_-_--__-__-__--_-__--__-_--__-__--___-------
___--__-_---_--_---___-__----_-___-_--____--_-__-_--_-___-_---___-_-__---
_-___-_-__-__--_-___---__--_--_--_-__--_______-___---___--__---_--_------
-__--___-__-__----_-_-_---_--_-__--_--___-_---_--__--__-__-_--__-___-_-__
-----__-_-----__-__-_-__-_____---__-_--__-_-__-__---_--_-_--_-_-_--______
-_---____--__--__-____-_-___--_______-_-__--_-------_-____-__---_-_------
-_--__-____--_----_--___-___-_-___----_----__-__---________-__--_-_-_----
-__-----__-____-_-__---_----__-_-_-_____--_---__---_--__-_-__--__-___-_-_
_----_--_-____---__-___--_--_-____-__-_----_-__-_--_-_-___------_-___-___
--_-_--___-__-__---_--__--__---____----__-______-______-___-_----------_-
-_-___--_-__-__-___-_-_---_-----__--_-___--___----__---___-_-_-__-_--_-__
---___--_---_--__-_-_---_--___-_-____-__--__--_--_----_-__--__--_______-_
___--___--__-___-_-___-_---_--__--__----__--_-_--____---____--__--_---_--
--____-----__-_--_-_--__---__--____-__-__-__--____--_---_____---_-_--__--
_-_-____--___-_---_-__---_-_--__-----_____-__---____-_----__--__--___-_--
_-___-_-_______---_-____------__--__-_--__--_--___-__-_---___---_----_-_-
---____--_--_---_________-_-__-__--__--__-----__-_____-_--___----_---_---
--_-__-_--_-_-_-----_--_-_-_-__--_-_-__-_--___-_____--_-__----__-_-_-____
_--_---_---_-___-_-------_--_-__-__-____----____--_______-_____---__--_--
_----_--_--_---_-_-____-_-____-__-__-__-__-_-_-__--__-_---____---_-_----_
--______--_--_-_____--__------__--____-__-_-_---__-______-----_-_-_--_---
_-_-_-__---_---_------_-_-____-_-__---____-___--__---___-_-___----_-_-___
__-_-_-_-_----_-____---_-___---_-_--___---_--___--_--_-__-_-_-__--__--___
__--_-___--_--_-__-_-_-__--__-__--___-__-_----_----_-__-__-_----_-_-____- _-----__--_-___-----__-_---_--_--_--___-______--___--_-______-_----_-_-__
_---_--_-__--_-___--____-____-__-__--_-----____----_-___--__--_-_-__-_---
---__-----____---___--______--_-_---_--_-_-__-____--__--_--_--__----_____
---___----_---___-_-_-____-_---___--__---__-__-__-__-__--_____--_---_-_--
_-__--_--_----____--_-____---_-___-__--___---__-___-_---_-_--_-_-__---__-
-_-_--____-_-_-____-_-_-__-----_-____--____--__--__--__--__-------__--__-
-__-_---__-_--___--___-_---___--_--___-___-_____--_--_-----___---_-_---__
___--__-__---____-_-___-__-_--__----______---_--___--___--__------_-_----
_-__---_-_-_-_---__-__-__-----__----_______-_____--__---_--_-___-_----_-_
-_--__--______---__-----_-__-___--__-____---------____----_-___-_---_____
-__-_____-_--___-___-___-------__-_--____-____-__-_-----_-__-__--_-------
--_-_-_-_-_-_-__--__-_-_-----_--_____-____-_-__------__--__-__--_-__-_-__
---_-------______-_-__________--___---__-_--___-___----_--_-__------___--
-----__--__---______-_----__-_-_-_-___-___--_---_--__-__---___-__-_-_--__
___-_--______--___-----_-___--_-___-_--___-__--_---_-_--____--_--_--_----
____---_--_____-------__-__-___-_-___-_---____--__--_--_--_----____--__--
-----__-__-___-_-----_-____--__--____-_--__----__--_-_-_-_______--___----
__-__-__-__----_-___--__---_--_--_-__-_-______--__-_-_--__-__---_--_---_-
--_____---_--______-__-_----___---__-___-_--_-_--_--_--___-_--_---__-__--
_--__-_-_-_-__-_-_-__-___-_-_--_-____-_-_-_-----__-_-__-__---_-_-_--__---
--___--___-_____--__---_-__-___-__---_-_-_-_-_--_-_-___---__-_----__-_---
--_-----_--___-___-___-___-_-_-_----___-_-___-_-___--_-_____--_-----_---_
-_--__-_-__-----___--_----___-________--_-____--------_-----___-_____--__
-__-__---__-__-__---_-__--_____-___-_--_-__-_____-----_-__-_---_----__---
___----_--____-_---__-______-__---_---__-___-_----_-___-_-___------__--_-
-_-___-________-_--___-_____--_-----___-_--__--_--_-_--_--__--_----_-_--- -_----__-_-----__---_---_-__--____-_--__-____-----____--______---_--_____
_------__-___-_----_____-____--_-----_-__----______---_------_____-____-_
-___---____-_--_-_-_______--__-___--__--__-_--__--_----_----__-_-__----_-
-_______--____-_---_-___-_--_--__-_-_---_-__------_---____-_--_-__-___---
__-__-----_-__-_---____---__--__--____--_-___-_-___-_-_____----------__-_
_---_______--_--_-___-_-__-_----_-_-_--_-_-__---_--___-----__--_-__--____
___--_-_---_---_---_---___---___-__-____---_--_-_____-______-_--_----__--
--___-_--__---_---_-__-__-__-_--_---_---_____-_-____---___--__----___--__
_-__--__-_--___-----_---__-__--_--_-__--_-__----__-____-_-__-__---_--____
-___--_--_-_-___-_--___----------___-_-_--__-____-_--_---_-__--_____-_-__
__--__-_---_--__--_-_-_____---_-_----___-__-____--__-___-------___--__--_
-____--_-__-_-_-_--____-_-------___-__----______-___---_--_---_--___--__-
_-_-_-----____------__--_---___--_-_-_-_____-_--_--__--__-__-__-__-_-__-_
__-_-___-----__---____-_-_-___-__-___--__----_--_-_---___-__--_-_-_-__---
_-___----_-_--_-_--__-_--___-__-__--_-_--_-__-__---_---_-__--___--__-_-__
------___-__--_-_-_-_---__--__-__----___----_____----------______________
--_____-__--_--__--____-___----___--_---_-__----__-_----_-__-__--__-___--
_---------_-____-_____-_-_--_-__-----__---_____-___--_-_____--_---___--_-
____---_--_______-___------_-__----__-_-_---___-------____-__---_--__-___
__-__--__-_-_-_---___--_____----___---_--__-_-_--_-__--_---__--____----__
-_-___-----__-______-_-__-___---_-__--__-__--__--_---_-_---__-_---____---
_-__-__-____-_-___-_--_----___--___-_--__---__--_----___-__---_-_-__-_---
-____-___-__-_--__---_--_--_-_--_--_-_-----____-___--____----__-_-____---
_-__-__-___-_--_--_---_-___--_--__--__-_---___-_---__--__--____---_-_-__-
___-_-_-_____-_--____-___-_--_-_-_------_--_-_---_--___---_--___-_--___--
-_----_--___-___--___-_-_--_-_--_-_---_---___-_-_-___----_-________---_-_ 下半身裸の幼女
_---__--------__-____--__-_-_--__---___-----__------__________---____-___
__--_-___-_-_----__-______----_---_-___---____-__---___-_--_-_--_-__---_-
_-____----_-_-----_-__--___-__-______----__-----_----_--_-__--__-___-____
_____--___--____---__-___-__-____-_-----___--_---__----_-_---_----_-__-_-
_---___-_---__-__---_---___--_--______---__-_-__--__-__--_-_-_---_--_-___
-_---___-__--__-----__--_-____----__--___---__--____-_-----___--_____-_-_
__------_---___------__----_-____-______---___-___--__----_-_--____-__-__
---__---_-_______---_----______----__--_-__-___---_--_--_____-___-_--_---
___--_-__-__---_-_-___---_-_-_--_-_--_-_---_____-__-_-_-_----__---_--____
_-_--_-_-__--__-_---_--__----___-_-_----___-_--_--_____-______--_-_--__--
_-_____-_--_-----_--__-_--___----__-__--_____---__---___-----_---______-_
-__--_-_-____----_----__---_____--_----_-__-___-_---__-_-____-__-_-__--_-
_----_---_-__--____---___--___--_--_---____--_-___-__--_--___-___--___---
_-_---_-___--_-----_-___-_-_---___----___-_-__-_-_--_--__-__-_____-_-_--_
_--_-_--_-___--_---__----__--__---_-_-____---__-_-__--_--__-___---___-___
_-_--_---___--__-----___--__-__---_-___--_----___--_-_-__---____---______
--__-____--__--__----_-_____-_-_--__--__--_-_-__-__-__--_---_-_-___---_--
__--_--_-__-_-____-___-_-_-__-_-_-----_-__-___---__-_------_--_-___-__-_-
--_--_-----__--_-__-_---_-__--_-___-_--__---_-__---_______-__-_-___--_-__
_---___-___----___--__----_--_-_---______----_____-___-----_---_-_____-_-
_-__----__-_---__-_--_--_--_------_-__-__-_________-__--__-----_____--_-_
--_-_-_-___--______---_-_---_--_-_-__-_-__-__--_-_----_-_-_____---__-_--_
---------_--_-__--__-_-_-__----_---_-___-_--_______---___-_---_____-_____
-___--_------__-_--_____--_--__-__-----__-___---_---__-____-_-_--_-___-__
-_-_-_-_--__-____-__-_--____--____-_-__--__-_-_-_------_-__------___-_-_-
-_-----___---___-----_-_----_-__-__-_-____-____-__---_-___----____--__-__ _-__--_-__-__--_---___--____---__--_-_-_---_--_-____-_---_-__--___--_--__
_-_-_---__-_--___--___-_-------_--___-__-___----_____--_-------________-_
---___---_-__-_-__-__--_-____-__-__---_---__--_-_-__-_-_--__--__-_--_--__
_-___-_-_____-_____-_-___--____---___----__---___--------_---__---_--_-_-
---__--______-__--_--___-----_-_-__---__--__---______-_--___-____-----_--
-_---_-_--___-_--__---_-___-___---__-__-_---___-_--__-_-_--_-__-__----___
---_-__-__-__--____--_____--_--__--_-__-_--_-____--_------_-___---_-_-_-_
_-__--_-_-_----__-_______---_--_---_---__---____-_-_------_-_______--___-
---_-__--___-____-_----_-__----__---_-___---_-_-_-_--__-_--_-_-_-___-____
_--_-_---_-_-----_-__---_________---_-_-__----__--_--______-__--_-_-__-_-
__--_---__---__-__---____-___--__-__-__-__-___---_--__--____-_--_-------_
_-_-__--__-----_--_-_-__--__-------____-------____-_-___-__-___-_-__-____
-_-__-_--_____-_--_--___---_---____---_--__-__---___-_--_----__---_-_____
--__-____--_-_-_--__--_-___-______-_-___-__-_---_---__-_-_--_--_---_-_---
__-_-_-_--_-----__-____----_____-__--__-___----_--__---___-_____--__-----
--____--__--_---__--_--__-_--___---__-__----__-__-_--__---__---________--
_---______---_-_-___---______-____--_----__-_----------___--___-__---__-_
_-_--_-____-_-__-----_--_____---_---_--_-_-___---___---_-___--_-__---____
_-___--___---____--_--___------__----__-__---_-_---_--___--___-__-__--___
---___---_---__-__--_-_-_-__-_-____--_-----_-____-_-_-_-_-_-__--__-_-_-__
_--_----_--__--___-___--_---__--___--_-_-___-__-_-----___--_____-__--_-_-
_-_----__---__-___--_-_-_--_-_-_-__--__-_--___--_-__--__--_--__--_--_____
_-___----____-_-_---___-__---_-____---_-----__-__--_--__-_-----_____-_-__
--_____-_---_--_-_-___-___--_--_-----___-__-_-__---___-__-_-_---__-_---__
_--_--_-__--___--_-__--_-_--_____-_--___--_--_--__-___-___---_--__-_---_-
_-__---------____-___-__-_---_-__-_-__--_-_____-_--__-__--__---____---_-- _--_-_____--_-_-__-__-_-_----___-_-----_-__--__-_--_---__-_-__--_--__-___
-__-_--_-__-____-_-____-_---_----_---__-_-_--_---___-__-______--_--_--_--
__--____-_---_--__-__-____-_--------__--___---__-_____----____---_-__--_-
_-_-_--__--__---__-__---__--_--_-_-----__-__-_-_-____--_-___-----_____-__
_---_--_----_____---__--__--_----___-__---__-__-____-_---_---_______--_-_
___-__---_-__-_-_--___-_--_-__----______-_-_--_-_-__-___-----_----_-___--
__-------_-_____-_-__---_-_-___--_-_-_-__-_-_-_-_--___--_--_--_-___---___
_--______-_-_--_--_-_---_-_-_-_-____------__-__-_-_-_-----_-_---______-__
-___-__-_-__----------__---_---__-__-----_____-__-_-__--_______----___-__
-_-_--_____-__---_-__-___-------_--__-_----__-__-___--__-_______-----_-_-
_-_-____---_----_-_____-__--_----_-_-_---_____--_---__-_-_-__--_--___--__
_-_--__----_----_--_-__---__-_---_----_-____-____-___-___---___-__-_--___
_-_-----__-_-____-_--_-__-_-______-_--_-_----__-__-_--_----_-___-_-_-_--_
-__-_-__--___------__-_-_-_-_--_____-_-__-_-_-_-_-__-__-_-__--_-_-----_-_
----_-____--__-__-_-_--_____--__---_--____-___--_-_--_-__--_---____---_--
_-__--__--_-_--___-_-_-_-__-_-________--____---_-__---_--_--_-_----_-_---
_----_----__-__--__________--___-___----_-_--_-___--__----_-__--_-__---_-
______----___-___-_---------__----_____-_-_-_-_-__--__--_---____--_--__-_
-_-_---_-___-__-___------_-_--_-_-_--____--___---_----_-_-__-_-_____-__-_
-_-_-_-__-____--__-_-_-----___---___--_---_-__-______--__---_--__-_-_-_--
_--_---_-_-__---_-_____-_____-____--_-_-_--_-___-_--_-___-_-_----_-----_-
__-_---___-____--__--__--_-_-_--___--____----_____-_____-_----_-_--------
__-__-_-------_-__--____------_-___-_--_____-_---_-___--_-_-____----_-___
----__--__-_-_----_--__---____-___-____--__--__-_-__--_-_----_-_--___-___
_-__-_-____-_---------___---__--___-__-__------__-____--___-_-_--__-_-__-
___-_--__---_-_--_-___-----_--__------_____-----_-_____--_-___--__-__-___ ジャイアンに殴られるのび太
/!/{ / ヾ--r
_ /  ̄ <_
_>`´ .... ___<_
> r‐'" ̄ ̄ ノ ̄ ̄`ヽ、―ニ 二
/ , | `ヽ/ ´`ヽ _ 三,:三ー二
 ̄/ | ノヽ--/ ̄ , ` ̄ ̄ ̄
/ /⌒ヽ,| ミ } ...| /!..................... POW!
レ l d _}`ー‐し'ゝL _
| ヽ、_, _,:ヘr--‐‐'´} ;ー------
|/| \ ノ`ヾ:::-‐'ーr‐'"==-
ヽ/l/|` ー------r‐'"  ̄ ̄
|└-- 、__/`\-:、
__,ゝ,,_____/ \_」 \
_____
/ \
/ ./⌒ ⌒ヽ ヽ
/, __| / | | ヽ |_ | ←あったかーい目で
| / ○ \| 見守っているつもり
| / 三 | 三. |
| | 丶___|__) |
ヽ\______/ ----____----___-__---___---_-----_-_-____-_--_-_--__-_-_-_-__--___-___-__
--_--_-_-_-_________---_--_----____-----_-_-__-___--___---__-__--_-___---
-_-_---_-_____--__-----_-_-_----_--____--__-__-_-----___-_---__________--
--_--__--_-____---__-___--__--___---_-_--____------_____-_-_---___----___
_-_-_-_-----_-_---____-__-_-___-----_-___-_____-_-_-___-__---_-__--_--_--
-_----_-_--_-_-_---__----__-__-____-_-_--_-____-_-_-_-__-___----___---___
__----_--_-__--_-__-_______-_--_____-__-_---_--__-__--___-_-----_---__---
_-___-__---__----_------____----__---__-_-_-___-___--___-___-_--__--__-_-
-__-_-_--___----_-_-___--_---_-___-__-_-__---_-----_____-___--_---__-__-_
_--_--_-_-_--___-_-_----___--_-__-____----_--___---_-___-_-_--_______----
______-_---_-__-_---_---___-_-___--__-_---_-___-__-_-----__---__---__-__-
___---___--_---_______-_-_-_-_-__--_____--__----_-______---__--_---------
-_--__-______--------__-__---__-_----____-_----_--_-_-_-_--____-_-___-___
-----_-_--___-__-___-_--_---__________-_----_--_--_--__-__--_--_--___-__-
-_-___----___-_--_-___-__-_-_-_------_--_-_-__---___-_______-___--__-----
-_-_-___-____--_-_-__---_-_---_-____-_--_--_--_--__---_-_-_-__-__---____-
--_-_-_-____---___--__-__-_____-_--___-_--_--_---___-_--__--__-_---_---_-
____--_-___---__--___---___--__-___-_-----_--__-_-___---___-_--_-_---_--_
__-_---_--_----__--_-__----_--_____--___-__--__--_--_-____-__-___-----___
-----_____-__--____---_-_---_____-_-_-_---__-_---__---_-_-_______-----__-
--__-___-_------__-_-_-____-__-_-___-_-_-_-----__-__---___-_----_--_-____
_--______--___--_--_______-__--_----__-----__----_---__-_--_----_-___-___
__-_-__-_--_-__-___---_----_---___--_____-_-__---___---_--_-__-_---__--__
_-_-_--_--____----_--_-__-_----____-_---__-__----_-_-_--_--__-__-_-______
-__-____---__-_---__--__--_--____-___--_---_-__-_-___-_-__-__--_--_---_--
--______-___-_--__-__-__---_-_-_--_-_-___----__-_---__-_--_---_-__-___--- ____-__--_____-___-----_-_--_--_______-___-__-_---_------_-___---__------
_-__-----_--__-__-____-_-__--_----__----_-____-_--_-_--__-_----____-_-___
___-_----_-----______-_--__-__-__-___--__-___--_-__---___-_---_----__-_--
--__-_---___-_-_______-_-_____--__-_---_-_-_-_-_-_---_-----___----_-__-_-
--____--_-_--_-_---_--_-____-_-__--____-__-_-_---_--____-_-___----__--_--
--_-_--_-_---____---_--_-----_--_-_--___-_---__----________-______--_-___
-_--_-_--__---_--______--_-_-__________--__-__--_--_-_-----_---__-_---__-
--_-___-_-____--____--__--_--_----_-____-____--_--_-___---__---_---__-_--
_____--____-_-_-_---__--_--_-___---___---_----__------________-_-__----_-
---__-_-_-------_-_--____--__-__--_-__-_______---_-----__--__-___-__--___
--____-_-__---_--------_-_____--_--_-_____-_-___--__--_-___-___-__-----_-
_-_---___----___---_---_---______-__-_-_-_-____-_-__---___--__---_-_-_--_
--_---_-_--__-___-__--__-_--____--_---_-__-_-_------__-____--_-_-_--_____
-_-_-____-_-_---____----__----___-_--_-__---_----__-______-_--_____--_---
--_-_--__-__-__-_-_-_--_---____-_---__-__-_--__-__-_-__--_--__-_-__-__---
_-__-_---_--_--_---___-_____------_--_--_---_______-_-__----__-__-__-_-__
-_------__-_--_----_-_---_____-_--__-_-___--__--__--__-_--___-__-__-__-__
_---_--_____-__-_-_____--__--_-_------__-_-_-__-_____-_-__-_---__----_---
-_-_--______---___--__-_--_-___-___--_______---__-----_-__-_----_-__-----
-__--___-_-_--_-_-_---__--_-_--_--__---___-___--__-__--_-_-_----_-__-____
---_-_____--_---_______-___-_--_-___-___----_---_-----_--__-_______------
___--_-__-______--___--_----_-__-_----_----_---___--__---__-____-_---_-__
---_--____-_-_____-_-__-__-_----_--___-_--___---_-__-_-_-___--___----_---
___-__-_--___-____----_-__-_-_---_--_-__-_-_--_--__-_-------___--___--___
--_-_-__--_-__-____--_-_---____------__-___-_-_-_--_-----__-_--_____--___
_-_--___-_-__---_-__-_-______-_-____--------_--_-_____---_--_-----__-_-__ -_-_--___-_--__-------__-------_-_-_____-______--___--_--_--__-_-___-_-__
_----__-------___-___--_-___-_----___-_-_--___--___--_-_-_--___---_____-_
_-___-_---_--___-_--__------__--___-__--__--_-__---_-___-_____---_--_-__-
---_-_--___-_-___-__-_-___-_-__-_-_-__---_-_-_-_----___-__--_-_--_-__--_-
-__-__-__------_____---_-_----_--___-_-_-__-___-_-_----__---__--_-__-____
_-___--------_-_-__-___-_--_--_-__-_-_--_-___-____--____-_-__--__--_-_---
_--_-_--_-_-----___-_-_---_--___------_-_-__-_--___-___-_-___-_-___--____
-_---_-__--_--_-_--____--___--_---_-__-_-__---_-_--_-___--_---___-__-____
_-_--_-_---__-____--__-__---_____-___-_----_----_-___-_--_--__--_-__--_-_
___---_-__-_--__-___-_---_-_-_----____-__--__--__-_-_____-_--__----_---_-
___-_-_-__---___--______-_-_-___-----____---__---__-_-_---_-__-----_--__-
--_-__----__---__-_____-_--___-_--_-__--__-__--_--__-----___-___-___----_
____--_-______---__-_-__-_-__---_____-_-_-----__----_-___--_-_---__-----_
-__-_-__-__---__-----__--_-_____-_-_-------__-__-__-___-__-___--__----_-_
-_-----_----_-__-_-_--_-___-_---_-___--_--___-_-_--__--__-__--____-__-___
----____-_-__-----_---_--___-_-_-_-_-____----__-______-_--__---_--_--____
-____-_____--_-__--_--_-_-__-__---_-_-__---_-___-_-_--_-__--__--_---_-_--
-__---_---_-___-_-_-_-_--__--_-_-__-_-__--_--_--___--___----_-_--___-____
-_---__-_---__---_---_-__----_--_---_______-___-_--_--_--______-_-_-_-___
__-__--_---___-___--____-_------_-_--_-__--_-_-_---_-____-_-_--___---__-_
_-___--____----------_---_--_____--__-__--____---_____--__-----____--__-_
-_---_-__--__-__--_-_----___-_-_-_--___---_--__-______----_--_-_-_-_-____
_-_-__--__-----------___-_-__-_---__--___--__-___---__-__-__--_-______--_
_-_---_____-_-__--______--_---__-_---_--__---_-____----_-_---_--___---___
_-_--__-___-__---____--__-____----_---_-_-__---_---_-___-_----_____-__---
-_--__-__-_-_-_-_----_-___----_____-___---_--__---___---_---___-_-__--___ -_-----__--_--__--_-_______-__--__--_-_-----___--_---_-_____-__--__-__--_
_---_------____-_-___----_-_-__-__-__-----__-______----__--_____--_--_-__
_-___-____---_---_-_-___-__--_-_---_--__-__--_-_--_-__-_---_____---___---
_---_-__-_-_-_-_-_-__-________--_-_-__--_----___-----_--__-___--___----_-
_-____-_--_-__-----_-_--_--_----____---_-__-___-__---__---___-_----______
_-___-_-_--____----__-_---_-__-_--_-_-__--__-_-__----___-_-_---_____--_--
_-_---___-_---_-_--__--_--___--___--_--__---____-__---_-__--_-__-_-__-_-_
---__-_-_-_-_---_____--______-_--__---__--___---___-_----_----__-____---_
----_---__-_-__--_--_--__---___-_____-__-----_--_____-__--_-__-_---_-____
---_-_______----___------_-_-___-_-_____-__--_-__----__-___----__-_-_-_--
__-____--__--______-_-__---__-______-____--------_---_-_-_----__--_---_--
_-_-__-----___-_____--_--___---__-----_--____----__-_--__---__--_-__-____
-_--_-_--_--__-_---______----___---____-_____-_---____---_--_--____---_--
--__-_--__-_-_--_--__-__-____-_--________---_-_-_---_--__---_-__--__-_---
_-_--_____-_----_-----_-__--_---__-_____--____-_-__-__---_--__-_-___-_---
-__--__---_------_--____-_____-__-_-__--_-_--_----_-_-____--_----___-____
-__-_--__---_-_____---__--_--____---__---___-_-_-_____------____-_----__-
--_--__--_-__---__-_-_-__-____--_---_--_-_-_---____-__-___-_----_-___--__
-__-_-_--__-________-_--__-_-_-----__-_-_-____-----__-_----_-____---_-_--
__---___-______-__-____--_-__----____--_---__-_--__--__-_-__--_-----_----
__---_____--_--_--_---___---_-___----___--------__-____-_-__-_-_-____--__
_-__--_-_-____---_---_-___-____-_--_-_-_--_--_-_-_--_--______-_--___-----
---_____------_-___-__-_-_-_--_-----_--______-__-_____-__--__--_--__---_-
-___-_-__-_--__---___-____----__---_---__-___-_-----__-_____-_--_--__-_--
_--__--______--______---__---_--_----_-___---__-__--__--__----___-__-_---
_-_---_-_-__--__--_-_-_---__-_-_-_-___-_-__----_---__-___-____-_----___-_ __--------_-__----_--__-____--____--__--_____----__-__-__---_--__--_-____
__---_-__-_-__-_-_----_--___-_--__---_-_-__--__----___-__----_____-_-_-__
-_-__-__---_____-_--_--_-_--_--_-__--__-___-_-___--_-_--_--_----____---__
__-____--_--__--_-__-_----_---__-_-__--_-__--__-__---_-__--_-_-_--_-_-___
_-__-_--_-_------_-_--_----__--_-___--__________-__--_-___------__-_--___
-__--_---_--_-____-___-------__-__-_____---_-_-_____--____----___-----__-
-____-_-_--_--_---__---___-__----__---__---_-__-__-____----___-____---__-
----_-______-_-_-_-_-__-______---_-_____----___---___-__-_-_--_--_-------
___-___-_-___-_-_----_-__-___------_-_-_____----__-____-_--_--_--_--_-_--
_-_-_-_--__------_--__--__-__--_-__---_____-_-_--__-___-_-__-__--_----___
-__-__-_-_-_______-___-__-_---___-_-__-_-_-__-_------__-----__-_--_-_----
__--__--__---___-_-___---_-__--___-__---_--_----_-_--_-_-________---_--_-
-_____-____-_-_--_-_-_---_-____---__-_-_-_-__-_--__----__-_-___-_----_---
___----_-_-___-____-__-_--__---_-__-___------___-----__--__-____----_-_-_
_-_---__-_---___-__----__--___----_---__--__-_--_-_-___-___----__--______
-__---_--_-___-___-_-_--____--_-__--_--_-____-_--__--_-_---__-_--_-__--_-
__-__--_--__---_-_--____-_--_-_---___-____-----_----___-_-_-__-__--___-_-
-_-_-_-__-_-___-_______--_---__---__---_-__--___-_-_--___---_--_-___-----
__-_-----_--__--_-__--------_--___-_______---_--___-_-_______----_____---
_-_-_-_--_-_______--------_-_--_-_-__-_-----_----_-_--___-____-___-_-____
__-_--___--__-_-------_-_-__-_-___--_____-----_---_____-__---____-_----__
___--_-_---_-___--_____-_____-__-_-_----_-----___-__-_--____---__----_---
---_-_--__-_____----________-_----_-____-__-_---_-__---_---_-__-_--_-_--_
__-__-_-_---_---_---_-------_--_-_---__-_---__---_-_____--____-__________
___-___-__-__-_-___-___----_____----____--_---_---_-___---__----_----_-_-
-_--___---_----_-_-____-_____--_---__--________-____---_--__---__-----_-- ---~~-~-----~-~~~-----~-~-~-~~-~~----~~-~~-~---~-~--~~-~~~-~~~-~~~~~~--~~
---~-~~~-~-~-------~--~-~~----~~~~-~~-~-~-~~-~-~--~~~~~~-~-~-~-~---~~-~~~
--~--~-~---~--~~---~~~-~~~~-~---~~--~---~-~~~-~-~-~~--~~-~----~-~~~~-~~~~
~~~------------~~-~---~~-~-~--~-~-~~-~~-~-~~~-~--~~-~-~~~-~-~~--~~-~~~~-~
-~-~--~--~--~~~--~~-~~~-~-~------~-~~~~~-~-~~~-~--~--~-~-~-~-~--~-~~~~--~
-~-~-~~--~-~--~~-~--~~~~~--------~~~--~~~~~--~-~~~~~~-~~~~-----~---~~~---
-~~~-~-~-~---~----~~-~~--~--~--~-~~~-~-----~~~---~-~-~~~~--~-~-~~-~~-~~~~
~-~-~~-~~---~-~--~-~~--~----~~~~---~----~~~--~-~~~-~~--~-~-~~---~-~~~~-~~
-~~--~~~----~---~~--~~----~~-~-~-~~-~-~-~~--~-~~-~~~-~~~~~-~-~--~~--~~---
~~-~~--~-~~-~~-~--~~--~-~-~~-~~~~--~-~--~~--~-~-~---~~~-~~-~--~~------~~-
---~~~-~-----~--~~--~-~~-~-~~~~~-----~-~~--~---~~~~~----~-~~--~~~--~~~~~~
-~~---~~---~~--~~-~~~---~~---~-~~~--~--~~~-~~~---~~-~~---~-~--~~-~~-~~--~
-~-~-~--~--~-~~~---------~--~-~~--~-~-~-~~~-~--~~~~--~~~-~~~~~~--~~--~-~~
~~-----~~~~~~~----~--~~~~~-~-~~~-~--~--~~~-~~~-~--~~-~---~~~----~-~--~---
~----~~~~~--~~~~-~--~---~~~---~-~----~---~--~~~~~~---~~-~~--~~~--~--~-~~~
~--~~~--~~~-~~-~~------~~-~~--~--~~--~-~~-~~---~~-------~~---~-~~~~~~~~-~
~----~~---~~~-----~-~-~-~~--~~-~~--~-~~~------~~~-~~~~-~~-~--~~~-~~~~-~--
~--~~~~~~~---~~~-~~~~--~--~--~---~~~-~-~--~~--~-~--~-~----~-~-~-~~--~-~~-
-~~~-~~~~--~--~~~~-~--~~----~-~--~-~~-~~~-~~~-~~-~~~~--~-----~~-~-~------
~----~--~~~----~---~-~~~~--~---~~~~---~-~~~---~--~-~-~~~--~~~-~~--~~~~-~~
-~-~~~~-~--~----~---~~~-~~-~-~-~~~--~~~~-~-----~---~--~~~~~-~--~-~~-~--~~
~--~~~~~~--~~--~-~~--~~~~~-~---~--~~-~--~-----~~---~---~-~---~~~~-~--~~~~
~----~--~~---~-~~~~~--~-~~-~-~~~--~----~~~~-~--~----~~~~----~-~-~~~-~-~~~
---~~~-~--~~~~--~~~-~-------~~~~-~~--~--~~~--~~-~-~------~~~~~--~-~~--~~~
~--~----~-~------~~-~~~-~-~~---~-~~~-~~-~-~--~-~~-~~---~~~~~--~~~-~~--~-~
-~-------~~---~~~~~~--~-~-~----~~~~--~-~-~~---~~-~~--~~~~-~~~---~-~~~-~-~ --~~---~--~~~-~~-~~-~--~---~~-~-~~~-~~--~~~~~~~------~-~----~~-~--~~~--~~
-~~~---~~-~~~~-~--~----~---~~~~~~-~--~~--~~~-~~~-~-~~---~-~~~---~----~~--
--~~~~--~-----~--~~-~~-~~~~~--~~--~~-~~--~~-~~-~--~~~~---~~---~---~---~~~
~---~~-~-~---~~-~~~-----~--~~~-~--~~~~--~~~--~-~-~----~~~-~-~~~---~~-~-~~
--~~--~-~~~~~-~-~~~~~-~~~-~-~~-~---~-~~------~-~-~~-~~-~--~-~~-~~-~------
--~-~~---~~--~~~-~~~----~--~~-~-~~-~~-~~--~~~-~~--------~--~~~-~~-~-~-~~~
-~~--~~-~~--~~~----~-~~-~-~~~-~~----~~~-~--~-~~-~-~~--~~-~-~~-~~-~-~-----
-~---~~~-~~~~-~----~----~~~~~--~--~-~~~--~-~~~~~--~---~-~~-~---~-~~-~-~-~
~--~~--~----~~-~~-~~---~~~~-----~~~--~~-~~~~----~--~-~-~--~-~--~-~~-~~~~~
-~~~~~--~-~--~-~-~~-----~~~--~~----~~--~---~~-~~~----~~~~~----~~-~--~~~~~
~---~~~~--~-~-~~-~--~---~~------~-~--~~-~~~~-~~~~-------~--~~~~-~~--~~~~~
-~~-~-~-~--~--~---~~~---~~~-~~~~~~--~~---~---~~---~-~-~~~~-~---~~-~-~--~~
-~~--~-~--~--~~-~~-~-~--~~~-~~~-~~~--~~-~~--~--~-~~-~-~-~~--~~~~-----~---
-~-~--~~--~-~~~~~-~~-~----~~--~-~-~~~~--~~~-~-----~--~~-~--~--~~~~~---~~-
~----~-----~~~~---~--~-~~~--~~--~~~-~--~-~-~~--~~~~-~~--~~--~~-~~~~-~---~
--~--~~~~~--~~-~-~~-~~------~~~~~-~~-~-~~~--~~~--~~--~--~-~~-~~~~--------
--~-~-~~~~-~--~~------~~-~~~~--~--~~--~~---~--~~~~-~~~--~~-~--~--~-~-~-~~
--~-~-~~-~--~-~-~~~-~---~~~~-~-~~---~~----~--~~~--~~--~~~-~-~--~~---~~-~~
~~~~--~~~~-~~---~~~-~~-~~-~-~---~~~-----~-~~-----~~~~--~---~~~-~--~-~-~--
-~--~--~~---~-~~---~~--~-~-~--~--~~~~~-~~-~--~~~~~~~~~---~---~~----~-~~~-
--~~--~~----~---~~~~~~~~-~-~-~~~~~-~---~--~-~~~-----~-~~~-~-~-~-~-~-~~---
~--~~~~~-~-~-~-~~~--~---~---~~-~~~-~-~~~--~~-~~---~--~-~~--~~~---~-~--~--
--~-~--~-~~~-~~~~-~-~~~~-~-~~~~-~-~~~----~-----~-----~-~-~--~~~~--~-~~-~-
~~~~---~~~~~--~-~-~----~-~--~-~~--~~-~-~---~-~---~-~~--~~--~~---~--~~~~~~
~--~-~~---~-~--~---~----~~~~~~~~~~-~--~-~~--~-~-~~-~~-------~~---~~-~~~~~
~~~-~~~--~~~~-----~~--~~-~-~-~-~~~-~--~--~~--~-~~--~~~-~--~----~--~~--~-~ ~--~~~--~-~~~~---~~~~~~~~-~~---~-~~-----~~~--~-~-~-~-~--~~--~--~----~~~--
~~~---~--~~-~~~--~~--~~~--~~-~-~-~---~--~~--~~~-~~~~-~-~~~-~~---~-~------
-~~-~~-~~--~-~~~-~~-~~~~---~~~-~~~--~~~--~-~--~--~~~---~---~-~~--~~------
~-~-~-~~~~~~----~----~-~--~~------~~~~~~~-~-~--~-----~-~~~~---~~--~~~~~-~
-~-~~--~~-~~--~~---~~-~-~-~--~~~-~-~---~~----~~~~~-~----~-~~~~~-~-----~~~
--~~~-~~--~~--~~~-~-------~-~-~~-~----~~~~~-~~-~-~--~~~-~-~----~-~~~--~~~
~~~~-~-~--~~--~-~~-~~--~~--~~----~~-~--~---~~~--~--~~-~--~-~~~~~~---~-~--
~-~~-~~-~--~~--~--~-~~--~-~~~---~---~~~~-~~--~~-~--~-~~~~~-~~~~-~--------
--~--~---~~~----~---~~-~~~~~-~--~~~~~~~--~~-~---~~~~---~-~~-~~---~-~~--~-
--~-~-~~~--~~-~~~-~~-~-~-----~~-~---~~-----~-~~-~--~-~~-~--~~--~--~~~~~~~
---~~~~~~---~~---~---~~---~~-----~-~~-~~-~~~--~~~~-~~-~~-~-~-----~~--~~~~
-~~~-~-~~~~--~------~-~~-~~~~-~---~~-~-~~-~-~~-~~-~-~-~-~----~--~-~---~~~
--~---~~~~--~-~---~~-~~~~---~~~~-~~~~~~---~-~-~-----~~-~--~--~-~-~-~-~~-~
-----~~~~~--~~-~~~~-~--~~~-----~--~-~-~---~--~~-~~~~-----~~~~~---~~~~~--~
-~-----~~----~~---~~~--~-~~~-~~-~~~-~~~~~~~~~--~~--~--~~~~~---~~-------~-
--~-----~~~~-~----~--~~~-~-~~--~~----~~-~~----~~---~---~~~~~-~~~~-~~-~~~~
-~--~-~-~~-~-~~~--~~~~-~~~~--~~~------~~-~---~-~~---~~~-~~-~--~~---~~~---
---~-~~~~~~---~~-~~~---~-~---~~-~-~-~-~~---~~~--~~~--~-~~~---~~~----~~-~-
~~---~~~~~~~--~-~-~~~-~-~--~~~-~~----~~~~-~--~~-~~--~~--~--~-~-----~-~---
-~~~--~~---~~-~~-~---~~~~-~~~----~-~--~~-~-~~-~-~--~~-~-~~-----~-~~---~~~
--~~-~~~~~-~------~~---~-~~~-~~~~~-~--~~--~~~~~~-~-~~-~-~~-~-~~----------
-----~--~~-~--~~-~-~-~~-~-~-~----~-~-~--~~~~-~~-~~--~---~---~~--~~~~~~~~~
~--~-~-~--~~~~-~----~~~---~~~--~~--~~~~~--~---~-~~--~~~-~--~-~~-~~----~~-
~~--~-~--~--~~~~~~---~~--~~~~~-~---~~~~----~-~-~-~-~~-~-~~-~~---~---~-~--
-~-~--~--~~~~~--~~~~-~-~--~~-~-~-~-~---~-~---~~~~~~-~~---~~~------~~--~-~
-~-~~~-~~~~-~-~-~-~---~--~~~---~-~--~~~-~--~~-~--~~~---~~-~--~~~----~--~~ ~~~~~--~-~-~~~~---~---~-~-~~--------~~---~-~~~~~~-~~--~~~---~--~--~~--~~~
~~~------~~~-~~-~~~-------~---~~-~---~-~~~~~--~~~-~----~~~~~~~-~--~-~--~~
~--~--~-~-----~--~-~~~--~-~----~~-~~-~-~-~-~~~~----~-~~~~--~~--~-~~~~~-~~
~--~--~--~~~~~~~--~-~~--~---~-~--~~~~--~~~~-~--~-~---~-~~~~~-~~-----~-~--
~~---~---~--~~~--~~-~~~~--~--~--~~~~-~--~~~--~-----~-~-~-~----~~~~~~~--~~
~-~---~-~~--~~~~-~-~--~~~---~--~------~-~~~~~~~--~~-~~~~---~---~---~-~~~~
~---~~~--~-~-~~~--~-~---~~~--~-~-~----~---~~-~~-~~-~~-~~~-~~--~~~-~----~~
~~--~-~~-~~~-~--~~-~-~~--~---~~-~-~~-~-~~~~--~-~~~-~-~---~-~-~~~~--------
~--~-----~~~~-----~~--~~~-~~--~-~~---~~-~~~-~~~~~---~--~~~-~-~--~--~-~~-~
--~~-~-----~~~~-~---~~------~~~-~~~~-~~-~-~--~~----~--~-~~-~~~~~-~~-~-~~-
~~~-~~~~~~-~~~~~-~~-~~---~~~--~-~-~-----~-~-~-~--~-~~~----~--~-~-~--~----
~~-~--~-~--~-----~-~--~-~-~-~--~----~~~~-~~-~~~-~---~~-~~~~~~-~--~~-~~--~
-~-~~-----~-~~----~-~-~~--~~-~~~~-~~-~~-~-~~~---~~~~~---~---~~~---~-~~--~
-~----~-~~~~---~~~~~~-~~~-~--~~-~-~-~~~--~--~-~---~--~~~-------~~~-~~--~~
~~----~-~~~---~----~-~-~~---~-~~~---~~~~-~~---~~-~-----~~-~~~~~-~~--~~-~~
-~--~-~---~--~~~-~~-~~~-~--~-~--~--~~~-~~~~~-~-~---~~-~~~-~---~~~~~------
~--~~-~--~~~-~-~~-~-~-~~~~~---~~~---~~~-~-~--~~-~~~~~----~-~----~~---~---
~~~~~~~--~---~---~-~--~-~-~--~-~--~~~----~~~~----~~--~~-~~--~~-~-~~--~~-~
~~~--~~---~-----~~~~--~~--~-~-~-----~--~~---~~~~~~-~~--~-~--~-~-~~~-~-~~~
~~--~-~~~--~~~-~~~~~~-~----~-~~~~~----~~-~-~--~---~--~--~-~~---~~~-~-~---
---~-~~---~--~~--~-~~---~~~--~-~~-~-~~-~-~-~~~~~-----~-~~~-~--~~~-~-~~--~
-~~~-~---~------~-~~~~-~--~---~-~~--~~-~-~~~~--~-~~~-~~~~~-----~~~-~--~-~
-~--~~~~~~----~--~~~--~~~--~--~--~~-~----~~-----~~~-~~~----~~~~~~--~--~~~
~~-~--~~~~~~~-~~-~~------~-~-~-~~-~--~~~~~~~---~~-~~-~~----~~~------~----
~-~-~--~~~-~~~~-~~-~~~~-~-~---~--~~~~~~~-~~-~-~---~~--~-----~~~-----~----
~-~~~~-~----~~--~~~~~---~-~-~-~~~~~~-~~--~~--~----~~~-~~~----~-----~-~~-- ~----~~~-~-~-~---~-~~~-~-~--~-~-~~~--~-~~--~-~~~~~-~-~-~-~-~~-----~--~~-~
~---~~~--~----~--~-~~--~~--~~-~~-----~~-~~~~-~~~-~----~~~~~~-~-~~~~---~--
~~--~--~--~~-~-~-------~-~-~~~~--~~---~~-~---~~-~-~~~~~-~-~~~~-~-~~~~----
~~--~~~-~~~~~-~-~-~-~--~~-~--~--~~-~-~~-~---~-~-~~~---~~~--~--~~--~~-----
~~-~~--------~-~~-~~~-----~~-~-~~~~~-~~~-~-----~~~~-~--~-----~~~~--~~~-~~
-~~-~-~~~-~~-~-~~--~-~--~~~~-~--~-~-------~~~~~~--~~--~-~~-~--~-~--~--~~-
~~~-~-~~~-~----~--~~~~~~~-~----~-~~~~-~---~~-----~-~~-~~~~--~-~---~--~~--
~~~----~~~~~-~~~---~--~~----~~~------~~---~~-~-~--~~-~-~~~~-~~~--~~~~----
-~~-~~~~-~~~-~~~~~~-~~----~~~-~~---~---~---~--~----~---~--~~~~-~~-~---~~-
-~~~---~-~-~---~---------~-~~~--~~--~~~--~~-~~-~~~~-~-~--~~~~~---~~~~~--~
~~~-~-~~~~--~-~---~-~--~--~-----~--~~~-~-~---~-~---~-~~~-~~-~--~~~-~~-~~~
~---~~~--~~---~--~~--~~~~----~~----~~~~~------~-~~-~~~~~--~~--~~-~~--~~~-
~----~~-~~~~~-~~-~~--~-~~-~~--~-~~-~~---~--~~~-~~---~--~~--~-~-~~--~-~---
-~~----~-~~-~---~~--~-~-~~--~-~-~~~-~~~-~~~~--~-----~~~---~~~~~-~----~~~-
~~-~~~~~~-~~----~~-~~~-~----~~~---~~---~---~-~~~--~~-~~~----~-~-~-~~--~--
~~--~~~--~--~~-~~--~~-~~~~-----~~~~~~---~~-~~~-~~~-~-~-~----~--~~--~-----
---~~-~--~~~~------~~-~--~~~~~--~---~-~~~-~----~---~~-~~-~~-~~~~---~-~~~~
~~~-~~----~-~---~-~~~~-----~~~--~---~~-~~~~--~~~--~---~-~~~--~~---~-~~-~~
-~----~--~-~-~-~~---------~~~-~~-~---~~--~~-~~---~~-~-~~~~~~~--~-~~~-~~~~
~~~~~~----~-~-~~~~~-~-~~---~~-~---~-~---~~~~~~~~----~--~--~~----~~--~--~-
--~~~~~~--~~~-~~--~~-~~~-~--~~----~-~~-~-~----~~----~-~~--~-~~-~-~--~-~-~
~--~~~~~~--~-~~--~~-~~~-~--~---~~--~~-~-~-~~~-~-~-~~~--~~------~--~-~-~--
~--~~----~---~~~~--~~~~~---~~--~-~----~~---~-~--~~~--~-~--~-~~~-~~~-~~~-~
~-~--~~~~-~----~~~---~~-~~--~~~--~-~-~~~-~---~~~~--~-~-~--~~~~--~-~--~---
-----~~~~~~--~-~~~~-~~--~--~~~-~~-~~-~-~-~~~-~------~~--~~-~----~-~-~~~--
~~-----~~---~~--~~~--~~~--~~~~~---~-~--~~~~-~--~-~~~~-~~--~-~---~~--~-~-- ~--~-~-~~-~~-~~~~--~~~-~--~~----~--~--~-~-~~~--~~-~~---~~-~-----~~~~-~--~
~~-~~~~--~~~~~~-~--~--~--~~--~~--~-~--~~~~-~--~--------~-~~--~~-~--~--~~~
~-~--~-~--~~~-~-~-~~--~---~-~-~~--~-~-~~~~-~--~~~~~-~--~--~~-~~-~-~----~-
~~~-~~~-~~-~--~~-----~-~-~~~~~-~~~----~~-~-~~~----~~-~~--~-~~------~~~---
~-~~---~----~~~-~~-~-~~--~--~~~~-~-~-~-~~~~-----~-~---~-~~~---~~~~~~~----
-~~-~~~----~--~---~~~~-~~~~---~~--~-~--~-~-~-~-~~----~-~-~---~-~-~-~~~~~~
~~-~~~-~~---~~~~--~-~~~-------~---~-~~-~~~~--~~~~--~~-~~--~~~----~-~-~---
---~--~---~~~----~~~~-~~-~~-----~~-~---~~~-~~~--~--~---~~~-~~~----~~~~~~~
-~-~--~---~~-~-~~--~~---~~-~~~~-----~--~~~---~-~-~~~~~---~~~~~-~-~--~-~-~
~~~~-~~--~~~~-~-~~-~---~~~~~~~-----~-~~------~~-~~~----~-~~-~---~~~~-----
-~---~~-~-~~-~-~--~-~~~-----~~---~--~~-~~-~~~----~--~--~~~-~-~-~~-~~~~-~~
~---~~----~-~~-~--~--~--~~~-~~~----~-~~---~-~-~~~~~~-~~---~-~~~~-----~~~~
~-~---~~-~-~-~~~--~~---~-~~--~-~~--~~~--~~--~--~----~~~-~~-~~--~--~~~~-~-
--~~--~---~~~--~~~~-~--~~------~~-~~-~-~-~---~-~--~~~--~~--~--~~~~-~-~~~~
~~-~~---~--~-~~~----~~~~--~--~-~-~~-~~--~~--~~~~~~--~--~~-~--~~--~~--~---
--~~~---~-~~--~~-~-~~~~-~-~----~~-~~----~-~~--~~-~-~--~-~--~~~--~~--~~~-~
~-~~~-----~-~-~--~~-~~~---~~---~----~--~-~-~-~~~-~~--~-~~--~~-~---~~~~~~~
--~~-~-~-----~--~~~---~~~~-~-~-~-~~----~-~~~-~~~~-~-~~-~-~~~~---~-~~--~--
~-~~-~----~---~---~~---~-~~~----~~-~-~~~~---~~~~---~-~~-~~~~-~~~~----~-~~
~-~----~---~~--~-~-~-~----~~-~-~~---~~~~-~~-~~~--~~-~--~--~-~-~-~~~~-~-~~
~--~~~-~~-~-~~-~---~--~--~~-~~--~~-~~~~-~-~~~---~~-~~~-~-~~~~--~---------
---~~~-~~~-~--~--~-~--~~--~~---~---~~~~----~--~~--~~----~-~~-~~~~~~~~--~~
--~~~~~~~~~--~~~---~~~~---~---~-~~~--~-~---~~~-~~--~~--------~~~-~~-~~---
~~--~~~~~~-~---~~--~-~-~~~----~~~~---~~~--~~---~-~~~-~-~-----~~~--~--~-~-
~-~-~-~~-~-~~~~-~~~~----~-~-~-~-~--~~~~~--~~--~~--~---~~-~~~------~-~-~--
~--~-~-~-~-~~---~~~~----~-~-~~-~~-~~~---~-~---~~-~~----~~--~~~----~~~-~~~ ----~~--~~--~~~~--~-~~~~~~~~---~----~-~~--~~~~-~~--~~~-~-~~~-------~-~~--
~---~~--~~~---~-~-~~~~~---~-~~~-~-----~~~-~---~~~-~~----~-~~~~--~---~~-~~
~~~~-~--~~--~~-~~~---~-~-~~--~--~-~----~~~-~~-~~~~-~-~-----~-~~-~~-~-~---
~-~--~~--~~~~~~--~-~-~~~-~~--~~~~-~---~~--~-----~--~~~-~--~~~--~-~--~~---
~-~-~~~~--~~~~--~~--~-~-~-~~~-~--~~--~--~---~--~-~-~~~-~--~-~-~~-~~---~--
--~-~~~-~~~-~~--~~~~~~~----~-~--~-~--~~~--~~---~~~~--~~~--~~--~-~----~---
--~~~-~~~~-~~--~~---~~-~~~~~-~~--~~~-----~~--~--~-~~--~~---~--~-~~---~-~-
---~~~~~~---------~~~-~--~-~~-~--~-~~~~~~-~~-~-~-~~~-~~-~--~--~~-~~--~---
-~-~-~~----~~~--~--~-~~~~~-~---~~~~~~~~~--~--~~~--~~~---~---~--~-~----~-~
-~~~~~--~~---~-------~-~~--~~-~-~~--~-~~----~--~~-~~~-~~-~-~-~~--~-~~~-~~
--~~~~~--~~--~~-~-~~-----~~~~~-~~-~~--~~~~~-~---~-~~~~-----~~---~-~--~---
~--~---~~--~~--~---~--~--~~-~--~~-~~~~--~-~---~-~~~-~---~~~~--~~~~-~-~-~~
~-~---------~-~~~~-~-~--~----~~~-~~-~-~~~~~~--~-~-~~~~~--~-~---~~---~-~~~
~-~---~-~~-~~--~--~~-~--~~---~~~-~~~-~~~~~----~--~~~-~~-~--~-~~-~--~~----
~---~-~-~~~-~-~-~-~~~~---~~-~--~~--~-~~~~--~-----~~---~--~~~~~-----~~~-~~
~~--~-~-~---------~~-~~-~--~-~--~~~-~~-~~-~~--~---~~-~-~-~~-~~~-~-~~--~~~
~~-~~~-~~-~~~-----~~--~-----~-~------~--~~-~~~~-~-~~~~--~~~~-~~~-~----~-~
~-~~~--~~-~---~~~--~--~--~~-~~---~~~~---~-~--~~~--~--~~~~~~------~~-~~~--
~--~-~---~~~~~-~-~~-~~~---~~~--~~~~-~-~~--~---~-~--~-~~-~~-~-~-~--~----~-
~~-~~~--~--~-~~--~~~~--~~-~-~~---~~~--~~-~-~--~---~---~~~-~---~~~~~~-----
-~~---~--~-~~--~-~-~-~~~-~-~~----~~--~-~----~--~~~~~-~~----~~~~---~~~~~~-
~~---~~~~--~~~~~--~~~---~~~~~~----~~~-~--~~-~~--~--~~~~------~~---~-~----
--~--~-~~---~--~~~--~--~-~~---~~~-~---~-~-~~~~-~~~-~~~----~~--~--~~-~-~~~
----~--~-~~--~~~~-~~--~~--~~~--~-~~--~~-~~~~~~~-~~--~------~~~-~~-~--~---
-~~~~-~----~~~-~~-~~--~~~~--~~~~-~-~-~--~~--~~----~~-~~~---~---~--~~-~---
----~~~---~~~~~~~~--~-~~~----~--~~-~-~-~~~---~--~-~--~~-~~~-~~----~--~-~~ ~--~--~~~----~---~~~~~~~~-~-~-----~~-~~--~---~------~~-~~~~~~~---~-~~-~~~
~~-~~~~~~---~--~-~-~-----~~-~~~-~~~~-------~----~-~--~-~~~-~~~-~~--~~~-~-
-~~~-~~~----~---~-----~~--~~~-~~~-~~~~~~-~-~~-~~~-~-~---~~-~~-~-~--~-----
-~~~---~~--~~~~~--~~-~-~~-~~----~-~--~~-~~-~~---~~-~~-~~-~-~~-~~-~-------
--~-~--~----~-~~~---~~-~~----~-~--~~--~-~--~-~--~~---~~~~~~-~~~-~~~~-~~-~
----~~~-~~--~-~-~--~~----~~~~~~--~--~---~~~-~-~~~~------~-~~--~-~-~~~~-~~
~~-~-~~~---~-~~~~~~~~-~~-~-----~--~~---~~-~~~-~---~~--~~----~~~-~---~--~-
-~-~~-~~~-~~~~--~-~~-----~--~~--~~-~~~-~---~~~-----~~~-~-~~~~~~---~-~----
--~~-~~~-~-~---~-~--~-~~~~----~----~~~-~--~-~-~-~~~--~-~-~~~~~~-----~~-~~
--~---~~~~~--~~~---~-~~--~-~--~-~----~~~~-~-~~~-~~-~-~~-~--~-~~--~----~~~
-~-~~~-~~~--~~-~~--~~~-~-~----~~-~-~~~~--~~~~--~-~~-~---~-~~-----~-~---~-
-~~-~-~--~~--~--~---~-~-~-~~~--~~---~-~-~~--~~~----~--~~-~~~~-~-~~-~-~-~~
~--~~~---~~--~~~---~~-----~---~~--~~-~----~~~~-~-~~-~~--~~--~-~~--~~~~~-~
~~-~~~-~~-~~-~-~----~---~~-~-~--~-~~---~~----~~-~~~~~--~-~-~-~-~--~-~-~-~
--~-~---~~~-~~~~~~---~~~~~~-~-------~~~~~--~---~~-~~---~~-~~~---~~~----~-
~-~~-~~~~~~~--~~------~~~~~----~---~~--~---~-~--~-~-~~-~-~-~---~~~-~~~--~
-~~~~~-~--~~~~-~~--~--~~~~--~~--~~~---~-~-~~~~~-----~~--~~-~~--~------~--
~--~~-~~-~~~~-----~-~-~~--~-~~---~--~~-~~~~-~-~~-~~---~--~~----~~~-~~--~-
-~-~--~-~-----~~-~~--~~---~~--~--~~-~~~-~-~-~-~-~-~-~~~~-~-~~------~~~~~~
-~~~-~-~--~-~~--~~~~-~~-----~~--~~~--~-~~--~~---~~-~~---~-~~-~~~--~--~~--
----~-~--~~~--~-~--~---~~~-~~-~--~~~~----~~--~~~---~~~~-~--~-~~--~~--~~~~
~~--~~~-~~-~---------~--~----~~-~~~~~~~-~-~~~--~~--~-~-~~~-~-~-~--~~~-~--
~~~----~-~--~~-~~~--~~~-~-----~--~--~--~~-~-~-~~~~--~--~-~~~~-----~~~-~~~
~~~~---~---~~~-----~~-~~-~~~~~-~-~---~-~~~-~~-~-~-~--~~~------~--~~-~-~~-
-~~~~-------~~~---~---~--~--~~~-~~~--~~-~--~--~--~---~~~~~~~-~~~--~~~-~~-
~-~~-~--~~--~~-~--~~-~~~-~--~-~--~~~~-~-~~~-~~-~-~--~~~-~----~~~~-------- ~-~-~--~-~--~-~~---~~~---~--~~-~~~--~~-~~~-~-~--~~-~-~---~~~--~~~-~--~~--
~---~~-~-~--~~~~---~-~-~--~--~-~~~~~-----~-~~-~~--~--~-~-~---~~~~~~-~~--~
---~~~-~~~--~--~---~-~--~---~~~-~-~~-~--~~~----~~--~-~~-~~~-~~--~~--~~~-~
-~~----~~-~~---~-~~-~----~~~~~-~-~~~~~~--~---~~----~--~-~~----~~~~~-~-~-~
--~-~---~~---~-~~-~~~~--~-~~--~-~~~~-~-~~-~-~-~--~~~--~~--~~--~~---~-~~--
--~~~~---~~~~---~-~-~~~--~~~-----~-----~~------~--~~~~~-~~~-~-~~~-~~--~~~
--~~~---~--~~-~~-~~~~-~-~~~~~~~--~~~-~-~----~--~~---~-~-~-------~~~-~--~~
~----~~~-~----~~-~~~~~~--~---~~~~-~--~~-~~-~~~---~~-~~~----~~--~----~~--~
-~--~--~-~-~~-----~-~~--~---~~~-~~~--~~-~~~~--~~-~--~-~~-~-~---~-~-~~~~-~
~~~~~-~--~-~~~~-~-~----~~~-~----~~---~~~~~---~~~~~-~~-~----~~-~-----~--~-
-~-~~-~~~-~-~---~--~--~---~-~~~-~~~-~~---~~-~---~~-~----~~~~~---~--~~~-~~
--~-~--~-~-------~-~~-~~~-~~~~~~~-~~-~--~---~~-~~-~--~~-~--~~~--~~---~~-~
--~-~---~~~~~--~-~-~---~-~-~~---~-~-~~-~~-~~-~----~~~-~~-~~----~-~~-~-~~~
~--~~--~~~-~~~~---~-~-~~-~~~~~-~~-~--~---~~~-~-~~~--~-~-~--~---~--~--~---
--~-~~~~--~--~~--~~~-----~--~~-~-~~~-~~---~~~~-~----~~~-------~~~~~-~-~~~
-~~~~--~~~-~~~-~-------~~-~~~~~~---~~-~-----~--~--~~~~----~~~----~~~-~~-~
~---~~-~-~---~~~~-~~-~---~--~~-~-~~-~--~~~--~--~--~-~~~-~----~-~-~~~--~~~
--~~-~~~-~~-~-~~~~~--~-~----~~---~-~-~-~---~~~~-~~~--~---~~---~~--~-~~~--
-~-~~-~-~~~-~-~--------~~~~--~~-~~--~~-~-----~~~~--~~-~-~~~~-~-~~~~-~----
--~~-~-~--~---~--~~-~~~~---~-~-~~~~--~~--~~~-~~-~-~---~-~-~~~~~--~-~-~---
~---~-~~--~---~---~--~-~~---~~-~-~~~~~~-~~~~-~--~~-~~-~--~~-~--~-~--~--~~
~~~~-~~~--~~~~~~-----~-~---~-~----~~-~----------~-~~~~~~~--~-~~-~---~~~~~
~-~~--~~-~------~~~------~~--~~-~~~---~~~~~~--~-~-~~----~~~--~--~~-~~-~~~
-~~~~~~~~-~---------~-~~--~~~~-~-~-~----~~-~--~~~~--~--~~--~-~-~-~~---~~~
-~----~~----~~---~~~~~~--~~~~~--~~---~~-~-----~-----~~~~---~--~~~~~~-~~~~
~~-~~---~~~~-~-~----~~--~~~---~--~~~~---~~--~-~~-~~-~~--~~-~----~~-~~--~- ~~-~~~~~-~~---~~---~-~--~--~-~-~-~~~---~-~-~-~~-~~-~--~-~-~~~~~-~-~------
~-~-~-~--~-~--~----~~--~~--~-~~~-~~--~~-~---~~~--~-~~~~~--~~---~-~~~-~--~
-~~--~~~~-~~-~~~~---~~~~--~~--~---~-~~-~~---~-~~~-~~~~-----~--~--~--~-~--
~--~--~~-~~~~-~--~-~~~---~~---~~--~~~--~-~--~--~------~~~-~~~~-~-~--~~-~~
--~--~~-~~~-~-~--~-~~~--~-------~~~~-~-~-~-~-~-~--~---~~~-~~--~~~~-~--~~~
~~~~--~~-~----~-~-~~--~-~~~-~----~~---~~~-~-~------~--~-~~-~~~--~~~~~~~--
-~~~---~------~~~~-~-~-~~----~-~-~~-~-~-~-~~~~~~~-----~-~---~~~~--~--~~~~
~-~~~~--~-~--~~-----~~~~-~--~-~~--~~~-~-~--~--~~--~-~-~~-~~~~-----~~-~~--
~~--~---~~~~-~~-~-----~~~~~-~~~---~----~-~~~-~-~~~-~~--~~~-~---~--~--~~--
~-~~~~~~~~-~-~---~~~~---~-~---~~-~--~------~-~-~~~~-~~~---~-~~~--~-~-~---
~~-----~-~---~-~---~~~~~~~-~~-~~-~---~~-~-~-~~-~~~-~----~---~-~~~~----~~~
~-~~~~--~-~-----~~-~--~--~~--~~~---~-~~-~--~~---~-~~--~--~~--~-~--~~~~~~~
-~--~-~-~~~~---~-~-~-~---~~---~~-~~~~~~~-~~~--~--~--~-~--~~~-~~---~~~----
~~-~~~~~--~-~-~~~--~~--~-~~---~--~-~-~-~~--~-~----~--~~~~--~----~~~~--~-~
~-~------~-~~~~-~~~-~-~----~~~~~---~-~-~---~~~---~--~~-~~~----~-~~~--~~~~
~~-~-~--~~~~-~-~-~----~~---~~~-----~~~---~~~--~---~--~-~-----~~~~~~~~~~-~
-~~~-----~~~-~~~--~~~--~~~--~-~~~~-~--~-~----~-~~---~~-~-~~~--~~--~~--~--
~~---~~--~--~-~~----~~~~------~~~~~-~~~-~--~--~~-~~~~--~~~~-~~~--~----~--
~-~~-~-~--~~~~~~~--~~---~--~-~~-~-~~--~-~~--~--~~---~~---~--~----~~~-~-~~
--~-~-~~~--~~---~-~~~---~~-~--~~~-~-~---~~---~-~-~-~~-~~~-~-~~-~~---~--~~
--~-~--~----~--~~-~-~~-~-~~~-~~~~-~~--~~---~~~---~~~~--~~--~--~---~~-~-~~
~~--~--~----~~-~~-~~---~~--~~~-~--~-~--~~~---~---~-~~~~-~--~-~~~-~-~-~~-~
~---~~~--~-~~-~-~--~~~---~~-~-~-----~-~~--~~~-~-~~~---~~--~~~--~---~~-~~~
~-~-~---~-~~-~~~~~---~--~--~--~~-~-~-~~-------~-~~~~~~~--~~-~-~-~---~~~-~
~~~~-~~-~----~~-~----~-------~~~-~---~-~~~-~~-~---~---~~--~~~-~~~~-~-~~~~
~~~-~~~-~---~--~-~-~~-~-~--~~~~--~~~-~~-~~~~---~~~-~--~~~--~~~----------- ■ このスレッドは過去ログ倉庫に格納されています